गाँधी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिसे समझने के लिए वैचारिकी का मजबूत होना ठीक उसी तरह आवश्यक है जैसे विज्ञान को समझने के लिए तर्क, समाज को समझने के लिए साहचर्य और संवेदना, साहित्य को समझने के लिए सृजन, राजनीति को समझने के लिए राग व विवेक, संस्कृति को समझने के लिए सद्भावना और संबंधों को समझने के लिए भावनाओं इत्यादि का होना अनिवार्य है। गाँधी के व्यक्तित्व का आयाम इतना विशाल और विहंगम है कि इसे जितने कोणों से देखें उतने ही दृष्टिकोणों का निर्माण होता है। विश्व हिंदी परिषद द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के शुभ अवसर पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य आज के समय में वाद, संवाद और सन्देश के विमर्श में बहुआयामी गाँधी के व्यक्तित्व और कृतित्व को वैश्विक परिदृश्य में अवलोकित करने का विनम्र प्रयास है।
क्र.सं. | उप विषय | क्र.सं. | उप विषय |
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1 | गाँधी और राष्ट्रभाषा हिन्दी | 19 | गाँधी की राजनीतिक विरासत और श्रृंखला |
2 | गाँधीः भारतीय साहित्य और भाषा | 20 | गाँधी के धर्म संबंधी विचार |
3 | गाँधी की संवाद-शैली | 21 | संरचनात्मक कार्य और गाँधी |
4 | गाँधी और समकालीन पत्रकारिता | 22 | गाँधी के गाँव |
5 | गाँधी के सपने और सत्य के प्रयोग | 23 | कॉर्पोरेट जगत और गाँधी |
6 | गाँधी का बाल समाज | 24 | गाँधी और समकालीन अन्य विचारक |
7 | वंचित वर्गः गाँधी का अंतिम जन | 25 | राष्ट्रनिर्माण और गाँधी |
8 | गाँधी और राजनीतिक विचार विमर्श | 26 | गाँधी और कस्तूरबा |
9 | गाँधी का सामाजिक चिंतन | 27 | गाँधी और स्वाधीनता आंदोलन |
10 | गाँधी और गीता | 28 | दक्षिण अफ्रीका, सत्याग्रह और गाँधी |
11 | गाँधी की संस्कृति | 29 | समकालीन दक्षिण एशिया और गाँधी |
12 | गाँधी का अंतरराष्ट्रीय स्वरूप | 30 | प्राकृतिक चिकित्सा, योग और गाँधी की जीवन शैली |
13 | गाँधी और स्त्री | 31 | मानवीय दृष्टिकोण, समरसता और गाँधी |
14 | गाँधी और चिकित्सा | 32 | बहुमुखी तथा बहुआयामी गाँधी |
15 | जन आन्दोलन और गाँधी | 33 | आधुनिक विचार और गाँधी। |
16 | विकास और गाँधीवादी मॉडल | 34 | लघु एवं कुटीर उद्योग का विकास और गाँधी |
17 | पर्यावरण और गाँधी के विचार | 35 | गाँधी के पहले और गाँधी के बाद का भारत |
18 | गाँधी: विभिन्न विचार | 36 | पत्रकारिता पर गाँधी का प्रभावः आज़ादी के पूर्व और पश्चात् |
सम्मेलन के लिए मौलिक और अप्रकाशित आलेख/शोधपत्र हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा में आमंत्रित हैं। इच्छुक प्रतिभागियों से यह निवेदन है कि राष्ट्रपिता गाँधी की 150वीं वर्षगांठ पर अपनी मूल्यवान लिपिबद्ध स्मृतियाँ अवश्य साझा करें। इस सम्मेलन में हर इच्छुक व्यक्ति भागीदारी कर सकता है। इसमें पेशे, कार्य, विचारधारा, व्यवसाय, क्षेत्र, भाषा और विषय आदि किसी भी प्रकार की कोई भी पाबंदी नहीं है। मुख्य विषय और उप विषयों के अतिरिक्त अन्य संदर्भित आयामों पर भी आलेख भेजे जा सकते हैं। स्तरीय आलेखों को ISBN नम्बर युक्त प्रतिष्ठित राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रकाशनों में प्रकाशित करवाने की योजना है। आलेख/शोधपत्र वाचन एवं पुस्तक में प्रकाशन के संदर्भ में विशेषज्ञ समिति का निर्णय अंतिम और मान्य होगा जो आलेख/शोधपत्र की उत्कृष्टता एवं गुणवत्ता पर निर्भर होगा।
शोध सारांश की अधिकतम शब्द सीमा | 350 शब्द |
शोध सारांश भेजने की अंतिम तिथि | 30 अगस्त, 2019 |
पंजीकरण की करने की अंतिम तिथि | 30अगस्त, 2019 |
पूर्ण शोधपत्र की अधिकतम शब्द सीमा | 3500 शब्द |
आलेख की अधिकतम शब्द सीमा | 3500 शब्द |
पूर्ण शोधपत्र/आलेख भेजने की अंतिम तिथि | 5 सितम्बर, 2019 |
पूर्ण शोधपत्र/आलेख स्वीकृति की तिथि | 5 सितम्बर, 2019 |
ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु:
vhphelpdeskmail@gmail.com, seminarinternationalvhp19@gmail.com ई-मेल पर भेजें।
प्रस्तावित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए निर्धारित शुल्क के साथ पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
प्रतिभागिता/पंजीकरण शुल्क भुगतान की अंतिम तारीख 31 अगस्त 2019 होगी। सम्मेलन में भाग लेने के लिए निम्नानुसार पंजीकरण शुल्क (GST अतिरिक्त) का भुगतान अपेक्षित है:
क्र.सं. | सरकारी/गैर सरकारी संस्थान द्वारा मनोनीत प्रतिभागी | व्यक्तिगत प्रतिभागी | विदेशी प्रतिभागी |
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1 | मंत्रालयों/सरकारी विभागों/उपक्रमों आदि द्वारा मनोनीत के लिए – 10,000/- रु. प्रति प्रतिभागी+GST | शिक्षकों के लिए - 2000/-रु. प्रति प्रतिभागी |
विदेशियों के लिए – 500/- डॉलर प्रति प्रतिभागी+GST |
2 | शिक्षण संस्थाओं/महाविद्यालयों इत्यादि द्वारा मनोनीत के लिए – 5,000/- रु. प्रति प्रतिभागी+GST | पत्रकारों/साहित्यकारों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं इत्यादि के लिए – 1500/- रु. प्रति प्रतिभागी | दक्षिण एशियाई देशो के प्रतिभागियों के लिए – 10000/-भारतीय रु. प्रति प्रतिभागी+GST |
शोधार्थियों के लिए – 1000/- रु. प्रति प्रतिभागी |
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विद्यार्थियों के लिए – 800/- रु. प्रति प्रतिभागी |
इस शुल्क में सत्र के दौरान चाय, नाश्ता, दोपहर का भोजन, सम्मेलन से संबद्ध सामग्री, पैन/पैड/बैग/फोल्डर इत्यादि शामिल है। अग्रिम अनुरोध प्राप्त होने पर उपरोक्त कॉलम 2 में उल्लिखित प्रतिभागियों के लिए आवास की व्यवस्था की जा सकती है। अतः ऐसे जो व्यक्तिगत प्रतिभागी सम्मेलन के दौरान आवास की सुविधा चाहते हैं उन्हें इसके लिए पहले सूचित करना होगा और इस सुविधा के लिए निम्नानुसार अलग से भुगतान करना होगा -
वातानुकूलित (प्रतिदिन) : 500रु. प्रति प्रतिभागी
गैर वातानुकूलित (प्रतिदिन): 250 रु. प्रति प्रतिभागी
प्रतिभागिता/पंजीकरण शुल्क का भुगतान हमारी वेबसाईट www.vishwahindiparishad.org पर जाकर ऑनलाइन या NEFT/RTGS अथवा विश्व हिंदी परिषद के नाम नई दिल्ली में देय बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से किया जा सकता है। भुगतान संबंधी रसीद प्रपत्र के साथ vhphelpdeskmail@gmail.com, seminarinternationalvhp19@gmail.com पर मेल करें और इसकी मूल प्रति संगोष्ठी के दिन अपने साथ अवश्य लाएँ।
विश्व हिन्दी परिषद की परिपाटी हिंदी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं को सम्मानित व पुरस्कृत करने की रही है। ये पुरस्कार उच्च स्तरीय मूल्यांकन समिति की सिफारिशों के आधार पर दिए जाते हैं। पूर्व के आयोजनों में भी परिषद द्वारा साहित्य एवं गैर साहित्यिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले संस्थानों/व्यक्तियों को भारत सरकार के मंत्रीगण के करकमलों से सम्मानित किया जाता रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी हिंदी साहित्य तथा राजभाषा हिंदी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं/कार्यालयों को सम्मानित/पुरस्कृत करने की योजना है:-
सम्मेलन स्थल कनॉट प्लेस में घूमने और देखने के स्थान चाहे ऐतिहासिक हों या धार्मिक चाहे शॉपिंग के हों या खाने-पीने और मौजमस्ती के लिए, किसी की भी वहाँ कमी नहीं है, कनॉट प्लेस में आपको सब कुछ मिल जाएगा। कनॉट प्लेस को ‘राजीव चौक‘ के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली की सैर करनी हो तो उसकी शुरुआत कनॉट प्लेस से ही करनी चाहिए। इसे ‘दिल्ली का दिल‘ भी कहा जाता है। कनॉट प्लेस के ‘सेन्ट्रल पार्क‘ में शाम के समय फव्वारे और लाइटें बहुत खूबसूरत लगते हैं। कनॉट प्लेस का सेन्ट्रल पार्क राजीव चैक मेट्रो स्टेशन के एकदम ऊपर बना है। कनॉट प्लेस ‘नई-दिल्ली रेलवे स्टेशन‘ के बहुत नज़दीक है। राजीव चौक के अलावा ‘बाराखंभा रोड‘ और ‘जनपथ मेट्रो स्टेशन‘ भी कनॉट प्लेस के नज़दीकी मेट्रो स्टेशन हैं।
कनॉट प्लेस के ऐतिहासिक स्थलों में ‘जंतर-मंतर‘ और ‘अग्रसेन की बावली‘ प्रमुख हैं। कई फिल्मों में दिखाई देने के कारण यह युवाओं का पसंदीदा स्थान है। यहाँ ऐतिहासिक ‘हनुमान मंदिर‘ और प्रसिद्ध ‘बंग्ला साहब गुरुद्वारा‘ भी दर्शनीय हैं ।
कनॉट -प्लेस में स्थित खादी-ग्रामोद्योग भवन में खादी से बने खूबसूरत कपड़े मिलते हैं। यहाँ कुटीर उद्योग का सामान भी मिलता है। कनॉट प्लेस का ‘इनरसर्कल‘ और ‘पालिका बाज़ार‘ शॉपिंग के लिए बेहतर विकल्प हैं । यहाँ दुनिया के बड़े-बड़े ब्रांड भी मिल जाएँगे। जनपथ स्थित मिनी मार्किट में कम कीमत में बेहतर शॉपिंग की जा सकती है। मुगलई और नॉनवेज खाने के शौकीनों के लिए ‘काके दा होटल‘ अच्छा विकल्प है। साउथ इंडियन खाने के शौकीनों के लिए ‘सरवन भवन‘ पर हर प्रकार के डोसे उपलब्ध हैं । बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर स्थित ‘कॉफी होम‘ पर कॉफी पीना न भूलें। ‘स्ट्रीट फूड‘ के शौकीन पालिका बाज़ार का जायका ले सकते हैं। जबकि एक से एक ‘क्वालिटी रेस्टोरेंट‘ भी यहाँ उपलब्ध हैं ।
विश्व हिन्दी परिषद लोकमंगल और सर्वकल्याण की भावना से अनुप्राणित हिन्दी भाषा के साधकों को प्रोत्साहित कर, भाषा के उन्नयन और अविरल गति से चलने के प्रयास में जुटी अपने प्रयोजन और उद्देश्य को पूरा कर रही है। हिन्दी प्रचार-प्रसार की सेवा में तत्पर कश्मीर से कन्याकुमारी तक के साहित्यकारों, पत्रकारों, प्राध्यापकों, शिक्षकों, हिन्दी अधिकारियों, स्वयंसेवियों , कर्मचारियों एवं हिन्दी प्रेमी जनता को एक मंच पर एकत्रित करके एवं उन्हें अनुप्रेरित करते हुए यह संस्था विगत दो दशकों से अपनी कर्मठ भूमिका निभा रही है।
इसका उद्देश्य समाज-सापेक्ष, व्यावहारिक, प्रकार्यात्मक, सरल एवं सुबोध तथा क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों को लेकर जीवंत हिन्दी बनाना है क्योंकि मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा और अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की बहुआयामी भूमिका है। यह हिन्दी प्रेमी विद्वानों एवं चिंतकों को संगठित करके समय-समय पर हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति उनके कत्र्तव्य को याद दिलाती है और उनमें दायित्व बोध को जागृत कराती है। इसके द्वारा हिन्दी की सेवा में तत्पर हिन्दी प्रेमियों को बढ़ावा देने एवं उनके योगदान को सराहने के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है।
विश्व हिन्दी परिषद् का मुख पत्र ‘विश्व हिन्दी’ पत्रिका के माध्यम से विविध विषयों पर हिन्दी में विचारोत्तेजक लेखों का प्रकाशन भी करती है और युवाओं तथा नव प्रतिभाओं को आत्माभिव्यक्ति का व्यापक मंच भी प्रदान करती है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं , सामाजिक - सांस्कृतिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हिन्दी भाषा का वैश्विक विस्तार करना ही विश्व हिंदी परिषद् का मुख्य ध्येय है।
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एन.डी.एम.सी. कन्वेंशन हॉल का परिचययह दिल्ली के बेहतरीन, अत्याधुनिक तथा नवीनतम उपकरणों व तकनीक से युक्त प्रसिद्ध सभागार है। भारत सरकार तथा विभिन्न मंत्रालयों के प्रमुख आयोजन प्रायः यहीं सम्पन्न होते हैं। यह कनॉट प्लेस में जंतर मंतर के सामने स्थित है। यह पूर्णतः वातानुकूलित है। इसके निकटवर्ती मेट्रो स्टेशन पटेल चैक तथा राजीव चौक हैं। यहाँ दृश्य- श्रव्य रिकॉर्डिंग की सुविधा के लिए स्टूडियो उपलब्ध है। इसमें सभी प्रमुख बिंदुओं पर सी.सी.टी.वी. की व्यवस्था है। इसमें लगभग 1000 लोगों के बैठने की सुविधा है। इसमें एक मुख्य सभागार तथा दो लघु सभागार हैं। समानांतर सत्र संचालन के लिए उचित व्यवस्था है। इसमें ऐसे अनेक कक्ष हैं जहाँ बैठक की जा सकती है। ध्वनि, प्रकाश, चित्र व्यवस्था के लिए अनुकूल सुविधाएँ विद्यमान हैं। जलपान एवं भोजन सत्र के लिए स्वतंत्र ‘जलपान स्थल‘ उपलब्ध हैं। अत्यधिक सुंदर, भव्य, आकर्षक, नवीनतम, तकनीकीयुक्त यह कन्वेंशन सभागार बौद्धिक एवं शिक्षित वर्ग के लिए आकर्षण तथा जिज्ञासा का केंद्र है। इस सभागार में सम्मेलन का आयोजन स्वयं में एक बड़ी उपलब्धि है।
प्रो. विनय कुमार भारद्वाज, अध्यक्ष | डॉ. कंचन शर्मा |
प्रो. प्रदीप कुमार सिंह, उपाध्यक्ष | प्रो. शाहिद अली |
प्रो. जंग बहादुर पांडेय, उपाध्यक्ष | डॉ. वंदना झा |
प्रो. (डॉ.) भरत सिंह, उपाध्यक्ष | डॉ. वी.के. बघेल |
प्रो.(डॉ.) अरुण सज्जन, उपाध्यक्ष | डॉ. बीना बुदकी |
प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा | श्री राम परिहार |
आचार्य चंद्र | प्रोफेसर हरिमोहन शर्मा |
माननीय केशरी नाथ त्रिपाठी (राज्यपाल, प. बंगाल) | प्रोफेसर गोविंद सिंह |
डॉ प्रियरंजन त्रिवेदी, अध्यक्ष- भारतीय विश्वविद्यालय परिसंघ | |
डॉ. कमल किशोर गोयनका | प्रोफेसर नंद किशोर पांडे |
डॉ. रामबहादुर राय | प्रोफेसर चंदन चौबे |
डॉ. विनोद मिश्र (मॉरीशस) | डॉ कुंजन आचार्य |
डॉ. कौशल कुमार श्रीवास्तव (आस्ट्रेलिया) | प्रोफेसर रामजीलाल जांगिड़ |
डॉ. रामशरण गौड़ | प्रोफेसर एस.के. मीना |
डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल | प्रोफेसर श्योराज सिंह बेचैन |
डॉ. चितरंजन कार | श्री अरविंद मोहन |
प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र | श्री गिरीश पंकज |
प्रोफेसर के.जी. सुरेश | श्री रमेश चंद शर्मा |
प्रोफेसर अनिल अंकित राय | कर्नल आर.एस. चौहान |
प्रोफेसर सूर्यप्रसाद दीक्षित |
सम्मेलन संबंधी नवीन सूचनाओं के लिए कृपया विश्व हिन्दी परिषद् की वेबसाइट www.vishwahindiparishad.org देखते रहें ।
पंजीकरण आवेदन पत्र और प्रपत्र की मौलिकता के प्रारुप तथा आवास सुविधा हेतु निर्धारित प्रारूप विश्व हिंदी परिषद् की वेबसाइट से प्राप्त किया जा सकता है।
किसी भी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु
सम्पर्क करें: 011-4102 1455, 8586016348